Add a heading (3)
previous arrow
next arrow

JVSTV पर देखें

JVSTV: एक परिचय

झारखण्ड विधान सभा टी0वी० (JVSTV) का प्रारम्भ सदन की कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण, संसदीय ज्ञान तथा विज्ञान एवं समसामायिक विषयों के तथ्यपरक प्रस्तुति के उद्देश्य से लोकसभा व राज्यसभा टी0वी० के तर्ज पर विहित प्रकिया का पालन करते हुए आदेश सं0०-0स्था0-466/202-48 7. दिनांक-05/03/2021.

द्वारा माननीय अध्यक्ष, झारखण्ड विधान सभा, श्री रबीन्द्र नाथ महतो जी के मार्गदर्शन में, श्री हेमन्त सोरेन,  माननीय मुख्यमंत्री, झारखण्ड सरकार के करकमलों द्वारा दिनांक-23/03/2021 को झारखण्ड विधान सभा टी०वी० का विधिवत उद्घाटन किया गया।

प्रदेश की सर्वोच्च विधायी संस्था की गरिमा, सार्थकता, पारदर्शिता, विश्वसनीयता तथा आमजनों के लिये कार्यवाहियों के सुगम प्रस्तुति हेतु  इसके संचालन/प्रसारण के निमित्त झारखण्ड विधान सभा की सामान्य प्रयोजन समिति के ओर से माननीय अध्यक्ष, झारखण्ड विधान सभा को प्राधिकृत किया गया है।

Press Release

68वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ 05 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2025 तक बारबाडोस के ब्रिजटाउन में आयोजित है।

प्लेनरी सत्र के अंतिम कार्यशाला में

माननीय अध्यक्ष झारखंड विधानसभा

श्री रबींद्रनाथ महतो ने “राष्ट्रीय संसद बनाम प्रांतीय, प्रादेशिक और विकेंद्रीकृत विधान – शक्ति के पृथक्करण की रक्षा और संरक्षण”

विषय पर बारबाडोस एसेंबली में विभिन्न देशों के राजनयिकों के समक्ष अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि,

सत्ता को हमेशा जवाबदेही और नैतिक व्यवस्था द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए। मोंटेस्क्यू ने बाद में शक्तियों के पृथक्करण के अपने सिद्धांत में जिसे संहिताबद्ध किया, भारत के प्राचीन ग्रंथों में पहले से ही निहित थाः कि स्थिरता तभी आती है जब अधिकार विभाजित और सामंजस्यपूर्ण होता है,न कि केंद्रित हों।

हमारे संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने इस संतुलन को उल्लेखनीय स्पष्टता के साथ समझाया। उन्होंने कहा, “संघवाद का मूल सिद्धांत यह है कि विधायी और कार्यकारी प्राधिकरण केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित होता है, केंद्र द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा नहीं बल्कि संविधान द्वारा ही” यह योजना न केवल राष्ट्रीय एकता की रक्षा करती है, बल्कि प्रांतीय स्वायत्तता को भी पोषित करती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत में लोकतंत्र उतना ही विविध है जितना कि यह लोगों की सेवा करता है।

राष्ट्रीय संसदें और प्रांतीय विधानसभाएं सर्वोच्चता के लिए प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं; वे लोकतंत्र के पूरक स्तंभ हैं। प्रत्येक का अपना जनादेश होता है, लेकिन वे मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि शासन के हर स्तर पर लोगों की आवाज सुनी जाए।

लोकतंत्र की वास्तविक ताकत इस बात में नहीं है कि किसी संस्थान के पास कितनी शक्ति है, बल्कि यह है कि वह कितनी जिम्मेदारी से खुद को अतिक्रमण से रोकता है।

भारत में झारखंड विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में, मैंने देखा है कि कैसे यह संतुलन लोगों को सशक्त बनाता है। हमारे जैसे विविधतापूर्ण देश में, एक दूरदराज के गांव में किसान की आवाज, एक औद्योगिक शहर में युवाओं की आकांक्षाएं और हमारे जंगलों में स्वदेशी समुदायों की चिंताओं को विधायी प्रक्रिया में जगह मिलनी चाहिए। यह तभी संभव है जब राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाएं एक-दूसरे के पूरक हों-राष्ट्रीय एकता की रक्षा करने वाली संसद और स्थानीय पहचान और आकांक्षाओं का पोषण करने वाली प्रांतीय विधानसभाएं।

​इसलिए आइए हम एक नए संकल्प के साथ इस सम्मेलन को छोड़ दें।

आइए हम अपनी संस्थाओं की पवित्रता को बनाए रखने, संवैधानिक सीमाओं का सम्मान करने और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हों।

ऐसा करके, हम केवल कानूनी सिद्धांतों का बचाव नहीं कर रहे हैं; हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वतंत्रता और लोकतंत्र की नींव को सुरक्षित कर रहे हैं।

इस सत्र में राज्य सभा के माननीय

उपसभापति श्री हरिवंश,झारखंड से सम्मेलन में भाग ले रहे माननीय सदस्य श्री नवीन जयसवाल तथा ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के  पार्लियामेंट्रियन भी माननीय अध्यक्ष महोदय के साथ उपस्थित रहे।

11 Oct 2025

68वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ 05 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2025 तक बारबाडोस के ब्रिजटाउन में आयोजित है।
प्लेनरी सत्र के अंतिम कार्यशाला में
माननीय अध्यक्ष झारखंड विधानसभा
श्री रबींद्रनाथ महतो ने “राष्ट्रीय संसद बनाम प्रांतीय, प्रादेशिक और विकेंद्रीकृत विधान – शक्ति के पृथक्करण की रक्षा और संरक्षण”
विषय पर बारबाडोस एसेंबली में विभिन्न देशों के राजनयिकों के समक्ष अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि,
सत्ता को हमेशा जवाबदेही और नैतिक व्यवस्था द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए। मोंटेस्क्यू ने बाद में शक्तियों के पृथक्करण के अपने सिद्धांत में जिसे संहिताबद्ध किया, भारत के प्राचीन ग्रंथों में पहले से ही निहित थाः कि स्थिरता तभी आती है जब अधिकार विभाजित और सामंजस्यपूर्ण होता है,न कि केंद्रित हों।

हमारे संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने इस संतुलन को उल्लेखनीय स्पष्टता के साथ समझाया। उन्होंने कहा, “संघवाद का मूल सिद्धांत यह है कि विधायी और कार्यकारी प्राधिकरण केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित होता है, केंद्र द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा नहीं बल्कि संविधान द्वारा ही” यह योजना न केवल राष्ट्रीय एकता की रक्षा करती है, बल्कि प्रांतीय स्वायत्तता को भी पोषित करती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत में लोकतंत्र उतना ही विविध है जितना कि यह लोगों की सेवा करता है।

राष्ट्रीय संसदें और प्रांतीय विधानसभाएं सर्वोच्चता के लिए प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं; वे लोकतंत्र के पूरक स्तंभ हैं। प्रत्येक का अपना जनादेश होता है, लेकिन वे मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि शासन के हर स्तर पर लोगों की आवाज सुनी जाए।
लोकतंत्र की वास्तविक ताकत इस बात में नहीं है कि किसी संस्थान के पास कितनी शक्ति है, बल्कि यह है कि वह कितनी जिम्मेदारी से खुद को अतिक्रमण से रोकता है।

भारत में झारखंड विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में, मैंने देखा है कि कैसे यह संतुलन लोगों को सशक्त बनाता है। हमारे जैसे विविधतापूर्ण देश में, एक दूरदराज के गांव में किसान की आवाज, एक औद्योगिक शहर में युवाओं की आकांक्षाएं और हमारे जंगलों में स्वदेशी समुदायों की चिंताओं को विधायी प्रक्रिया में जगह मिलनी चाहिए। यह तभी संभव है जब राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाएं एक-दूसरे के पूरक हों-राष्ट्रीय एकता की रक्षा करने वाली संसद और स्थानीय पहचान और आकांक्षाओं का पोषण करने वाली प्रांतीय विधानसभाएं।

​इसलिए आइए हम एक नए संकल्प के साथ इस सम्मेलन को छोड़ दें।
आइए हम अपनी संस्थाओं की पवित्रता को बनाए रखने, संवैधानिक सीमाओं का सम्मान करने और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हों।
ऐसा करके, हम केवल कानूनी सिद्धांतों का बचाव नहीं कर रहे हैं; हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वतंत्रता और लोकतंत्र की नींव को सुरक्षित कर रहे हैं।
इस सत्र में राज्य सभा के माननीय
उपसभापति श्री हरिवंश,झारखंड से सम्मेलन में भाग ले रहे माननीय सदस्य श्री नवीन जयसवाल तथा ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के पार्लियामेंट्रियन भी माननीय अध्यक्ष महोदय के साथ उपस्थित रहे।

08 Oct 2025

झारखंड विधान सभा में 18 सितंबर को 12.30 बजे अप० को बेहतर जीवन जीने की कला विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ।
यह कार्यशाला मोटिवेशनल स्पीकर अरुण ऋषि स्वर्गीय के नेतृत्व में आयोजित हुआ।
कार्यशाला में माननीय अध्यक्ष झारखंड विधानसभा श्री रबींद्रनाथ महतो ,माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री इरफ़ान अंसारी, माननीय सदस्य श्री रामचंद्र सिंह एवं झारखंड विधानसभा के प्रभारी सचिव श्री माणिक लाल हेम्ॿम सहित सभा सचिवालय के अधिकारी /कर्मी उपस्थित रहें।
इस कार्यशाला में मोटिवेशनल स्पीकर अरुण ऋषि स्वर्गीय ने बताया कि रोज़ इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार की वस्तु ,खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ का किस प्रकार से सेवन करें अथवा त्याग करे ताकि जीवन निरोग रूप से जिया जा सके।
इस विषय पर अपनी प्रस्तुति दी।
इन्होंने समाज में लोगों के दैनिक दिनचर्या पर विशिष्ट दृष्टिकोण भी रखे।
छोटे छोटे आदतों को सुधारकर कैसे बड़े बड़े बीमारियों को शरीर से दूर रखा जा सकता है इसके उपाय बताया।
इन्होंने अपने बारे जानकारी दी कि वे, ऐसे 72 वर्षीय युवा हैं जो 45 वर्षों में टूथ ब्रश टूथ पेस्ट नहीं किया । चाय काफी नहीं पी ।शेविंग क्रीम साबुन शैंपू नहीं लगाया है।
पान गुटखा सिगरेट शराब को कभी छुआ ना हो।भोजन दिन में एक बार ही करते हो।
और इसी कारण पिछले 45 वर्षों में कभी बीमार भी नहीं पड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं वो अद्भुत व्यक्ति अरुण ऋषि “स्वर्गीय” हूँ जिन्होंने पिछले 27 वर्षों में 27 लाख किलोमीटर की यात्रा कर 2700 से अधिक कार्यशालाएं बेहतर जीवन जीने की कला विषय पर आयोजित किया हूँ ।
इस आयोजन में उन्होंने कहा कि मेरा स्वास्थ्य मंत्र है- एक दवा निराली पन्द्रह सेकंड की ताली।
इस कार्यशाला में माननीय अध्यक्ष श्री रबींद्रनाथ महतो एंव माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री इरफ़ान अंसारी द्वारा उनकी पुस्तक “कैसे बने मेरा भारत महान” का लोकार्पण भी किया गया ।

18 Oct 2025

झारखंड विधानसभा सभा सचिवालय में उप सचिव के पद पर कार्यरत पदाधिकारी कमलेश कुमार दीक्षित का 17 सितंबर देर रात आकस्मिक निधन हुआ। उनके पार्थिव शरीर को गुरूवार को झारखंड विधानसभा लाया गया । जहां झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो सहित अन्य सदस्यों विधानसभा के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दी । मौके पर विधानसभा के प्रभारी सचिव माणिक लाल हेंब्रम और विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने संबोधित किया । सचिव श्री माणिक लाल हेंब्रम ने अपने शोक संदेश में कहा कि कमलेश कुमार दीक्षित की कर्त्तव्यनिष्ठा, मृदुभाषी व्यवहार और कार्य कुशलता के
लिए सभा सचिवालय परिवार उन्हें सदैव याद रखेगा। ईश्वर उनकी पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। परिजनों को दुख सहने का आत्मबल प्रदान करें।
मौके पर विधानसभा परिसर में सबों ने मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। जानकारी के अनुसार स्वर्गीय कमलेश कुमार दीक्षित का जन्म नौ फरवरी 1971 को बेगुसराय, बिहार में
हुआ था। उन्होंने एक सितंबर 1998 को बिहार विधानसभा में चतुर्थ लिपिक श्रेणी के पद पर अपनी सेवा की शुरूआत की थी। अलग झारखंड राज्य बनने के बाद कैडर विभाजन के दौरान उन्होंने झारखंड विधानसभा में योगदान दिया था। श्रद्धांजलि अर्पित करनेवालों में अध्यक्ष के अलावे सदस्य सरयू राय, सदस्य रामचंद्र सिंह, सदस्य राज सिन्हा और विधानसभा के अन्य अधिकारी-कर्मी शामिल थे ।

18 Sept 2025

  NEWS BOX

Programmes on Jvstv

Social Media Feed